मानवाधिकार हमें जीने की आजादी देते हैं, जबकि खुशियां जीने का आनंद देती हैं। मानवाधिकारों के बिना खुशियां अधूरी हैं और खुशियों के बिना मानवाधिकारों का कोई अर्थ नहीं है